जाति से जंग
by Sanjib Kumar 2020-05-05 19:53:03
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राज्य और उसके क़ानून की निगाह में सभी नागरि... Read more
राज्य और उसके क़ानून की निगाह में सभी नागरिकों की समानता का आदर्श स्थापित करने वाला भारतीय संविधान अपने अमल के सत्तर साल पूरे करने जा रहा है, लेकिन जन्म के आधार पर सामाजिक दर्जा तय करने वाली जाति-व्यवस्था की जकड़बंदी न सिर्फ़ बदस्तूर है बल्कि पिछले कुछ वर्षों में अधिक आक्रामक हुई है। ऐसा क्यों है? इसे ताक़त कहाँ से मिलती है? इसका निदान क्या है? इन सवालों पर लागातर सोचने की ज़रुरत है, ख़ास तौर से तब जबकि केंद्र समेत भारत के अनेक राज्यों की सत्ता उनके हाथों में है जो विचारधारात्मक स्तर पर भारतीय संविधान के मुक़ाबले मनुस्मृति के ज़्यादा क़रीब हैं।// लेखक : उर्मिलेश | सुभाष गाताडे | बादल सरोज | सुबोध वर्मा | आनंद तेलतुम्बड़े | सोनाली | प्रबीर पुरकायस्थ | भाषा सिंह | बेज़वाड़ा विल्सन | चिन्नैया जंगम | अनिल चमड़िया | जिग्नेश मेवाणी | संभाजी भगत Less
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  • 84
  • Repro Knowledgcast Ltd
  • January 1, 2020
  • 9788194077886
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